नई दिल्ली (संवाददाता)- कौमी एकता दल के सपा में विलय से एक और यूपी के मुख्यमंत्री नाराज हैं। क्योंकि इस विलय के बारे में उन्हें पूर्व में कोई जानकारी नहीं दी गई थी। यही कारण रहा कि उन्होंने विलय के सूत्र धार और अपने मंत्री बलराम यादव को बखास्त कर दिया। लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एस रवैये से समाजवदी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव नाराज दिखे। गैरतलब है कि सपा कार्यालय में शिवपाल सिंह यादव ने कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अफजाल अंसारी को पार्टी की सदस्यता दिलाई थी।
लेकिन पार्टी में नाराजगी तब देखने को मिली जब मंगलवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसी को बिना बताए अपने सूबे के मंत्री बलराम यादव को मंत्री पद से हटा दिया। इस वजह से पार्टी के अंदर गहमा गहमी चलती रही।
जानकारों की मानें तो यूपी में होने वाले 2017 के विधान सभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए मुखता अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल को शामिल कर समाजवादी पार्टी अपनी पकङ को मजबूत करने का दाव लगाया है। कौमी एकता दल के साथ गठबंधन का कितना फायदा मिलने वाला है ये तो चुनावों के बाद ही पता चलेगा सकेगा।
वर्ष 2012 के चुनाव के पूर्व मुख्तार ने कौमी एकता दल का गठन किया था। कौमी एकता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्तार के बड़े भाई पूर्व सांसद अफजाल अंसारी हैं। मुख्तार अंसारी साल 1996 में मऊ सीट से बसपा के टिकट पर विधायक चुने गए थे। साल 2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में भी निर्दलन प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की।
इस बार मुस्लिम वोट भी तीन हिसो में बटने वाले हैं जिसके लिए भाजपा, सपा और बसपा अपने-अपने हिसाब से गणित बैठाने में लगे हैं। वहीं कांग्रेस नई टीम के साथ चुनाव में उतरने की तैयारी में है।