वर्धा (संवाददाता)- ‘सब इसलिए न्यूक्लियर पावर बनना चाहते हैं ताकि दूसरों को डरा सकें’ यह बात महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग द्वारा 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने कही। उन्होंने कहा कि यह मानव का सामान्य स्वभाव है कि वह अपनी उपलब्धि प्रदर्शित करना चाहता है।
यही कारण है कि सब दूसरों के भाग्य के निर्णय कि ताकत रखने के लिए ताकतवर होना चाहते हैं। परमाणु परीक्षण इसी चाहत का प्रतिफल है। मुख्य वक्ता के रूप विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. मनोज कुमार ने कहा कि इस भयंकर त्रासदी पर हम केवल एक दिन विचार गोष्ठी में चर्चा करते हैं; उसके बाद भूल जाते हैं।
दुनिया को परमाणु मुक्त विश्व बनाने के लिए एकजुट होना होगा। दूसरे मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं अंबेडकरवादी चिंतक प्रो. एम. एल. कसारे ने कहा कि आज हमारे (दुनिया) पास केवल दो विकल्प है- ‘बुद्ध या युद्ध’। अब हमें तय करना है कि हम किस मार्ग पर चलते हैं। एक मार्ग हिंसा के द्वारा सब कुछ तहस-नहस कर देगा और दूसरा संसार को प्रेम का मार्ग दिखाएगा।
संस्कृति विद्यापीठ के अधिष्ठाता प्रो. एल. कारुनकारा ने कहा कि जो परमाणु बम हिरोशिमा पर गिराया गया था उसका नाम ‘लिटिल ब्वाय था’ किन्तु उसने भारी तमाही मचाई। कार्यक्रम के संयोजक एवं गांधी एवं शांति अध्ययन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. नृपेन्द्र प्रसाद मोदी ने कहा कि 6 और 9 अगस्त का दिन हमें विश्व इतिहास में सर्वाधिक खौफनाक समय का एहसास दिलाता है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र संघ की भूमिका बहुत प्रभावी नहीं रही फिर भी इससे अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में शांति की अपेक्षा तो रहती ही है।
अमेरिका परमाणु मुक्त विश्व की बात तो करता है परंतु हकीकत उससे काफी दूर है। इस अवसर पर बौद्ध चिंतक सूर्यकांत भगत की पुस्तक “विश्व के महान बौद्ध दार्शनिक” का विमोचन माननीय कुलपति के कर कमलों द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. राकेश मिश्र ने कहा कि निरस्त्रीकरण और शांति आज हमारे चिंतन से दूर होती जा रही है, इसपर हमें ध्यान देने की आवश्यकता है।
डॉ. चित्रा माली ने धन्यवाद ज्ञापन किया।